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What is Hydroxychloroquine (क्या है हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन ) ?

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नमस्कार दोस्तों,

     आज का शीर्षक हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन(Hydroxychloroquine) से 
सम्बंधित है,जिसका उपयोग आज कोरोना के संक्रमण को रोकने हेतु किया जा रहा है। 
   
दोस्तों  

     आज हम हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन(HCQ) के बारे में जानेंगे जो  हाल फिलहाल बहुत अधिक चर्चा में है।



क्या है हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन (what is Hydroxychloroquine)?

                हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन 
(Hydroxychloroquine) एक एंटी मलेरिया ड्रग है। यह क्लोरोक्विन(chloroquine)  का एक योगिक है,और ये क्लोरोक्विन की तुलना में कम विषाक्त होता है।

                इसका उपयोग मलेरिया के अलावा रूमेटाइड ऑर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis), लुपस(Lupus) जैसी बीमारियों में भी होता है। इसकी खोज 1934 में जर्मनी में हुई थी। ये मानव शरीर में इम्युनिटी को बढ़ाती है।




चर्चा में क्यों है
हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine)?

                     बात करे अगर इस दवा की तो कहा जा रहा है, ये दवाई कोरोना वायरस 
के संक्रमण को रोकने में काफी हद तक कारगर है।

      हालांकि विश्व की किसी भी स्वास्थ संस्था ने इस हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन को Covid-19 के उपचार के लिए इसे प्रमाणित नही किया है।

चर्चा में क्यों है भारत?

         यदि बात करी जाये इस हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन
(Hydroxychloroquine) दवाई के उत्पादन की तो फोर्ब्स के अनुसार भारत विश्व  की तुलना में  इस दवा का 70% उत्पादन करता है। यही वजह है कि अमेरिका ,ब्राज़ील सहित अन्य देश इस दवा हेतु भारत पर निर्भर है।

            भारतीय  बाजार में उपलब्ध लगभग 80% 
हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन
(Hydroxychloroquine)  का उत्पादन मुम्बई स्थित इप्का लबोरिटीज़ (Ipca Laborities) और जाइडस कैडिला ( Zydus Cadila) करता है। जिसमे से केवल भारत 10 से 15% उपयोग करता है बाकी निर्यात कर दिया जाता है।
   
भारत की वर्तमान क्षमता-

                यदि वर्तमान की बात की जाये तो केंद्र सरकार के अनुसार भारत प्रति 
माह 20 से 30 करोड़  हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन टेबलेट बना सकता है ,किन्तु लॉक डाउन के प्रभाव के चलते भारत अभी केवल 50% ही इसका उत्पादन कर रहा है।

                               

               वर्तमान में भारत के पास तकरीबन 3.38 करोड़  
हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन  का स्टॉक रखा हुआ है। जो की भारतीय ज़रूरत का 3 गुना है। भारत ने अभी तक 13 देशो को अपना पहला खेप भेज चूका है,वही अमेरिका ने भारत से 48 लाख टेबलेट मांगी थी जिसमे से भारत ने अभी तक 35 लाख टेबलेट की मंजूरी दे दी है।

भारत में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन का उत्पादन अधिक होने का कारण?

                भारत में मच्छरों की समस्या अधिक होने के कारण ही इस दवा का सबसे 
ज्यादा उत्पादन भारत में होता है। अमेरिका एवं अन्य देशों में मच्छरों की समस्या इतनी गम्भीर नही है इसलिए हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन का उत्पादन वहा  कम होता है।


हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) के निर्यात पर प्रतिबन्ध समाप्त-

                केंद्र  सरकार ने हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन के निर्यात पर 25 मार्च को प्रतिबन्ध 
लगा दिया था बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति की मांग और Covid-19 महामारी के  बढ़ते प्रकोप और मानवीय पहलुओं को देखते हुए भारत पर दवाओं के लिए  आश्रित देशो को इसका उचित मात्रा में निर्यात करने की अनुमति दे दी गयी है।

                                                  

क्या हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन
(Hydroxychloroquine) से कोरोना ठीक होता है?

             तो इसका जवाब है नही। 
विश्व की किसी भी स्वास्थ संस्था ने इसको प्रमाणित नही किया है। इंटरनेशनल जर्नल आफ एंटीमाइक्रोबियल एजेंट(IJAA) मैं प्रकाशित एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक के शोध के अनुसार कोविड-19 से संक्रमित 20 मरीजों में हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन के प्रयोग से अन्य मरीजों की तुलना में बेहतर परिणाम  पाए गए हैं,किन्तु इसमें शामिल मापदण्डो , मरीजो में बीमारी की गम्भरिता का विबरण , उपचार के दौरान सुरक्षा आदि पहलुओं में व्याख्या का अभाव था।




           अलग-अलग अध्ययन बताते हैं कि यह दवा कोविड-19 के वायरस 
के असर को कम कर सकती है पर उसे खत्म नहीं कर सकती। फिर भी इसमें क्लिनिकल ट्रायल्स की जरूरत बड़े पैमाने पर आवश्यक है तभी इस पर कुछ निष्कर्ष निकला जा सकता है। जहां कुछ अध्ययनों में इसे इलाज में कारगर  माना गया है तो वहीं इसके कुछ साइड इफेक्ट भी निकले हैं|

इस दवा के कुछ प्रमुख साइड इफ़ेक्ट भी है
जैसे - हार्ट ब्लॉक, घबराहट ,चक्कर आना, उल्टी एवं डायरिया।

भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का प्रयोग

          भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का
 उपचार करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों और ऐसे मरीजों की देखभाल कर रहे परिजनों के लिए सुरक्षात्मक कदम के तहत हाइड्रोक्सी क्लोरीन के उपयोग की सिमित प्रयोग की अनुमति दी है अर्थात इस दवा का प्रयोग चिकित्स्क की देख रेख में ही किया जा सकता है।

          बिना चिकित्सक परामर्श के इस दवा के उपयोग के गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं और इससे व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को नुकसान पहुंच सकता है।

         फ़िलहाल जब तक इस वायरस का  प्रमाणिक उपचार नही मिल जाता 
तब तक इसके प्रसार को रोकना ही सबसे ज्यादा कारगर होगा।

       भारत आज कई देशो को ये दवा उपलब्ध करवा रहा है ,जो की  भारतीय दवा क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।


        भले ही आज भारत विकासशील देश है,किन्तु आज सारे विकसित देश 
हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन के लिए भारत पर निर्भर है। 

धन्यवाद !


1 comment:

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