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महाभारत युद्ध के गुप्त रहस्य - Mahabharat

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नमस्कार दोस्तों ,
                      हमने अपने पिछले ब्लॉग में महाभारत  से जुडी हुई कथाओ का वर्णन किया था आज हम महाभारत  से जुडी हुई और कुछ घटनाओ के बारे में जानेंगे जिनके बारे में अपने शायद ही सुना होगा | 


पहली कहानी -  सहदेव जो अपने पिता का मस्तिष्क खाकर बुद्धिमान बने थे उनमें भविष्य देखने की क्षमता थी इसलिए दुर्योधन उनके पास गया और  युद्ध शुरू करने से पहले उनसे सारे मुहूर्त के बारे में पूछा ।सहदेव ये जानते थे कि दुर्योधन  उसका सबसे बड़ा शत्रु है फिर भी उन्होंने युद्ध शुरू करने का सही समय बताया।



                        
                       
                           


दूसरी कहानी - दोस्तों धृतराष्ट का एक बेटा युयुत्सु  नाम का भी था । युयुत्सु एक वैश्य महिला का बेटा था। दरअसल धृतराष्ट्र के अनैतिक संबंध एक दासी के साथ थे जिससे युयुत्सु  पैदा हुआ था ।





तीसरी कहानी - दोस्तों महाभारत के युद्ध में उडुपी के राजा ने निरपेक्ष रहने का फैसला किया था उडुपी के राजा न तो पांडव की तरफ से थे और ना ही कोरव की तरफ से ।

                उडुपी के राजा ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा था कि कौरवों और पांडवों की  इतनी बड़ी सेना को भोजन की जरूरत होगी और हम दोनों तरफ की सेनाओं को भोजन बनाकर खिलाएंगे ।

                         


              18 दिन तक चलने वाले इस युद्ध में कभी भी खाना कम नहीं पढ़ा ।सेना ने जब राजा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इसका श्रेय भगवान श्री कृष्ण को दिया ।

                                 

                 राजा ने कहा जब भगवान श्री कृष्ण भोजन करते थे  तो उनके आहार से उन्हें पता चल जाता था कि कल कितने लोग मरने वाले हैं और खाना इसी हिसाब से बनाया जाता था।

चौथी कहानी -  दोस्तों जब दुर्योधन कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस ले रहा था उस समय उसने अपनी तीन उंगलियां उठा रखी थी भगवान श्रीकृष्ण उसके पास गए और समझ गए कि दुर्योधन कहना चाहता है कि अगर वह युद्ध मे तीन गलतियां न करता तो युद्ध जीत लेता।



              मगर भगवान श्री कृष्ण ने  दुर्योधन को कहा कि अगर तुम कुछ भी कर ले तब भी तुम हार जाते। ऐसा सुनने के बाद दुर्योधन ने अपनी उंगली नीचे कर ली

पांचवी कहानी -  दोस्तों कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती के किस्से तो काफी मशहूर हैं कर्ण और दुर्योधन की पत्नी दोनों एक बार शतरंज खेल रहे थे इस खेल में कर्ण जीत रहा था तभी भानुमति ने दुर्योधन को आते देखा और खड़े होने की कोशिश की। दुर्योधन के आने के बारे में कर्ण को पता नहीं था इसलिए जैसे ही भानुमति ने उठने की कोशिश की कर्ण ने उसे पकड़ना चाहा ।

                   भानुमति के बदले उसके मोतियों की माला उसके हाथ में आ गई और वह टूट गई ।दुर्योधन तब तक कमरे में आ चुका था दुर्योधन को देखकर भानुमति और कर्ण दोनो डर गए  की दुर्योधन को कहीं कुछ गलत शक ना हो जाए मगर  दुर्योधन को  कर्ण पर काफी विश्वास था उसने  सिर्फ इतना कहा  की मोतियों को उठा ले।

छटवी कहानी - कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्ध  था।कर्ण जब युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस ले रहे थे तब  भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी दानशीलता की  परीक्षा लेनी चाही। 



वे  गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए और कहा कि तुम्हारे बारे में काफी सुना है और तुमसे मुझे अभी कुछ उपहार चाहिए । कर्ण ने  उत्तर में कहा आप जो भी चाहे मांग ले। ब्राह्मण ने सोना मांगा कर्ण ने  कहा सोना तो उसके दांत में है और आप इसे ले सकते हैं ब्राह्मण ने जवाब दिया मैं इतना कायर नहीं हूं कि तुम्हारे दांत तोड़ू । कर्ण ने तब एक पत्थर उठाया और अपने दांत खुद तोड़ लिए ।ब्राह्मण ने  इसे भी लेने से इंकार करते हुए कहा की  खून से सना हुआ यह सोना  वह नहीं ले सकता। 



कर्ण ने इसके  बाद एक बाण उठाया और आसमान की तरफ चलाया  जिससे बारिश होने लगी और दांत धूल गए । इसके बाद कर्ण ने वो स्वर्ण दान किये।दान लेते ही ब्राह्मण भगवान श्री कृष्ण के रूप में आ गए और उन्होंने कर्ण की दानवीरता और महानता की बहुत प्रशंसा की।
   
       आशा है  आपको पसंद आयी होगी ये कहानी !


धन्यवाद 

1 comment:

  1. Check out this link :
    महाभारत की असली घटनाएं एवं सबूत जो आपको सोचने पर मजबूर करदे | Shocking Real Mahabharata events.
    Link : https://www.youtube.com/watch?v=sAPkASTY3UU

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